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उतर : संपक भाषा :
संपक भाषा वह भाषा होती है िजसम यित अपनी मातृभाषा के अलावा कसी दूसर भाषा का योग करके अपने
मन के भाव को या मन के वचार को कसी दूसरे यित के सम कट करता है और वह भाषा दूसरे यित को
भलभांत समझ म आती है ऐसी भाषा को हम संपक भाषा के नाम से जानते ह hai
संपक भाषा को जनभाषा भी कहते ह यक संपक भाषा ,वह भाषा होती है जो ऐसे दो यितय के बीच म बोल जाती है ,जो एक दूसरे क भाषा को नहं जानते है । ऐसी परिथत म संपक भाषा या जन भाषा के मायम से ह वे दोन यित अपने मन क भाव को और मन के वचार को एक दूसरे के साथ साझा करते ह या यत करते है l ाचीन काल म भारत क संपक भाषा संकृत थी l मययुग आते ह भारत क संपक भाषा हंद बन गई l जब मुगल का शासन काल आया तो उस समय भी हंद ह संपक भाषा के प म इतेमाल होता रहा l यापार के े म संपक भाषा के प म हंद का योग सबसे यादा हुआ था l इसलए अंेज यापारय ने हंद सीखने क जरत महसूस क थी और ईसाई मशनरय ने इसक यापकता को यान म रखकर अपनी धामक भावनाओं के चार सार म इसी भाषा को अपना सबसे महवपूण थान दया था